शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

अब जाग उठे हैं हम

अब जाग उठे हैं हम कुछ करके दिखा देंगे
हे माँ तेरे चरणों मे आकाश झुका देंगे ||
अब ज़ोश में आये हैं अब होश में आये
अब उठ बैठे हैं हम तूफान मचा देंगे ||
सदियों की गुलामी को हम सबने भगाया है
दुनिया के लुटेरों को दुनियां से मिटा देंगे
हे माँ तेरे चरणों मे आकाश झुका देंगे ||
आंशू न बहा माता मोती न लूटा माता
हम तेरे पसीने पे खून अपना बहा देंगे
हे माँ तेरे चरणों मे आकाश झुका देंगे ||

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

हमे वीर केशव

हमे वीर केशव मिले आप जब से
नई साधना की डगर मिल गयी है
भटकते रहे ध्येय पथ के बिना हम
न सोचा कभी देश क्या धर्म क्या है
न जाना कभी पा मनुज तन जगत मे
हमारे लिए श्रेष्ठतम कर्म क्या है
दिया ज्ञान जब से हमें आपने है
निरंतर प्रगती की डगर मिल गयी है||
समाया हुआ घोर ताम सर्वदिक था
सुपथ है किधर नहीं सूझता था
सभी सुप्त थे घोर ताम मे अकेला
ह्रदय आपका हे तपी जूझता था
जलाकर स्वय किया मार्ग जगमग
हमे प्रेरणा की डगर मिल गयी है||
बहुत थे दुखी हिन्दू निज देश में ही
यूगो से सदा घोर अपमान पाया
द्रवित हो गये आप यह द्रश्य देख
नहीं एक पल को कभी चैन पाया
ह्रदय की व्यथा, संघ बन फूट निकली
हमें संगठन की डगर मिल गयी है||
करेंगे पुनः हम सुखी मात्र भू को
यही आपने शब्द मुख से कहे थे
पुनः हिन्दू का हो सुयश गान जाग में
संजोए यही स्वप्न पथ पर बढ़े थे
जला डीप ज्योतित किया मात्र मन्दिर
हमें अर्चना की डगर मिल गयी है||