सोमवार, 20 जून 2011

गीत

धरती की शान तू है मनु की संतान
तेरी मुठ्ठीयो मे बंद तूफान है रे
मनुष्य तू बड़ा महान है
भूल मत,मनुष्य तू बड़ा महान है ||

तू जो चाहे पर्वत पहाड़ों को फोड़ दे
तू जो चाहे नदियों के मुख को मोड़ दे
तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे
तू जो चाहे धरती से अम्बर को जोड़ दे
अमर तेरे प्राण,मिला तुझको वरदान
तेरी आत्मा मे स्वय भगवान हैं रे ||

नयनों मे ज्वाल तेरी गति मे भूचाल
तेरी छाती मे छुपा महाकाल है रे
प्रथवी के लाल तेरा हिमगिरि सा भाल
तेरी भ्रकूटी मे तांडव का ताल है रे
निज को तू जान जान ज़रा शक्ति पहचान
तेरी वाणी मे युग का आहवान है रे ||

धरती सा धीर तू है अग्नि सा वीर
तू जो चाहे काल को भी थाम ले
पापों का प्रलय रुके पशुता का शीश झुके
तू जो अगर हिम्मत से काम ले
गुरु सा मतिमान, पवन सा तू गतिमान
तेरी नभ से भी उँची उड़ान है रे ||