गुरुवार, 21 जुलाई 2011

*गीत*

युग युग से हिन्दुत्व सुधा की ,बरस रही मंगलमय धार
भारत की हो जय-जयकार भारत की हो जय-जयकार||
भारत ने ही सारे जग को ज्ञान और विज्ञान दिया
अनुपम स्नेह भरी द्रष्टि से जन जन का उपकार किया
जननी की पवन पूजा का सुखमय रूप हुआ साकार
भारत की हो जय-जयकार भारत की हो जय-जयकार||
भारत अपने भव्य रूप को धरती पर फिर प्रकटाए
नष्ट करे सारे दोषो को समरसता फिर सरसाए
पुण्य धरा के अमर पुत्र हम पहचाने निज शक्ति अपार
भारत की हो जय-जयकार भारत की हो जय-जयकार ||
भारत भक्ति ह्रदय मे भरकर अनथक तप दिन रात करें
शाखा रूपी नित्य साधना सुंदर सुगठित रूप वरें
निर्भय होकर बढ़े निरंतर द्रढता से जीवन व्रत धार
भारत की हो जय-जयकार भारत की हो जय-जयकार ||