कातिलों की मुक्ति का विधान हो गया यहां
आज देशद्रोही भी महान हो गया यहां।
इक रिवाल्वर ने देशभक्ति को डरा दिया,
कातिलों की टोलियों को रहनुमा बना दिया।
कल लिए हुए खड़ा था बम बनाती टोलियां,
जो उजाड़ता रहा है मेहंदी, मांग, रोलियां।
जो सदा वतन की लाज को उघाड़ता रहा,
और भारती का मानचित्र फाड़ता रहा।
जो नकारता रहा है देश के विधान को,
थूकने की चीज मानता था संविधान को।
इसके सर पे ताज धरके हो रही है आरती,
रो रहा है देशप्रेम, रो रही है भारती।
जो हमारी रोती मातृभूमि को सुकून दे,
और देश द्रोहियों को गोलियों से भून दे,
ऐसे सरफरोश का हमें प्रकाश चाहिए,
देश के लिए पटेल या सुभाष चाहिए।
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